📙 Книга "भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन और काशी की नागरीप्रचारिणी सभा".
प्रस्तुत ग्रंथ में काशी नागरीप्रचारिणी सभा के बहुआयामी कार्यों पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। इसकी उपयोगिता और प्रासंगिकता इस अर्थ में और अधिक बढ़ जाती है कि जब अंग्रेजी शासन ने 1857ई0 के बाद ‘विभाजन और शासन’ की नीति अपनायी और इसका प्रमुख आधार आरंभ में भाषा एवं लिपि को बनाया, उस समय नागरीप्रचारिणी सभा ने भाषा एवं लिपि को ही आधार बनाकर जनता में जनजागृति लाने का प्रयास किया। विदेशी शासन ने जहां अत्यल्प वर्ग की उर्दू भाषा एवं फारसी लिपि को प्रमुखता प्रदान की वहीं, सभा ने आम जनता द्वारा व्यवहृत हिंदी भाषा और नागरी लिपि का प्रचार और उसी के माध्यम से संपूर्ण देश को एकसूत्र में बांधते का प्रयास किया। राष्ट्रीय आंदोलन के निर्णयक दौर में पहुंच जाने पर जब विभाजनकारी शक्तियां देश में अशान्ति पैदा करने और उसे विखंडित करने पर तुली हुई थीं, ऐसे समय में भी सभा ने राष्ट्रीय समेंकन को सर्वोपरि रखते हुए अखंड भारत का समर्थन और देशवासियों में भावनात्मक एकता बनाये रखने का प्रयास किया।